आज कल रेप मामलो पे होने वाली बहस में बहुत से लोग लड़कियों के पहनावे पर, देर रात घुमाने पर सवाल खड़ा करते है। मेरे उनसे सवाल है 1. छोटी बच्चियों, विवाहित महिलाओं, देहात में होने वाले रेप की घटनाओं के संदर्भ में वो क्या कहेंगे? 2. महिला कोई भी अंग हल्का सा प्रदर्शित हो जाये तो पुरषों की क्यूँ लार टपकने लगाती है? आपको कोई कैसे रेप के लिए निमंत्रित कर सकता है? self control भी कोई चीज होंती है। आखिर गन्दगी सोच और निगाह में है तभी तो? उदहारण के लिए खजुराहो की मूर्तियों में कुछ को नंगापन दिखता है, तो कुछ को कला- जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि वैसी। यदि कम कपडे पहनने से बलात्कार होते है तो हमारे आदिवासी क्षेत्रों मे, अफ्रीका में, यूरोप और अमेरिका में हर लड़की से बलात्कार होना चाहिए तथा इस्लामिक देशों और हमारे देहात जहाँ ओरते घर की चारदीवारी और परदे में रहती है एक भी बलात्कार नहीं होना चाहिए। बलात्कार कपड़ों का मुद्दा नहीं है, ये तो किसी पुरुष की विकृत मानसिकता का परिणाम होता है। 3. लड़कियाँ क्यों खुले आम अपने कार्य से उतनी ही निश्चिन्तता से घूम सकती है जीतनी की पुरुष घुमाते है? आखिर खतरा किस से है?
और तो और बहुत से लोग आज कल फेसबुक और ट्विटर पर ये भी कह रहे है पुलिस नाकारा हो चुकी है, अपनी रक्षा खुद करनी होगी। ये क्या बात हुयी??? हमारे दिए हुए टेक्स से पुलिस को तनख्वा मिलाती है, यदि ये हमारी सुरक्षा नहीं कर सकते, और हमें खुद ही अपनी सुरक्षा करनी है, तो हटाओ इन्हें नौकरी से और बंद कर दो सब थाने।
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