Friday, January 4, 2013

फिर न कहना मुस्लिम साम्प्रदायिकता के खिलाफ कोई बोलता नहीं है।


मुसलमानों का मोदी बनने का प्रयास कर रहे ओबैसी के खिलाफ मोर्चा खोला शबनम हाशमी ने


मुसलमानों का मोदी बनने का प्रयास कर रहे ओवैसी के खिलाफ मोर्चा खोला शबनम हाशमी ने
ऩई दिल्ली। गुजरात के नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मोर्चा लेती रहीं सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने मुसलमानों के मोदी बनने का प्रयास करने वाले इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक अकबरउद्दीन ओवैसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अकबरउद्दीन ओवैसी पर आरोप है कि अदिलाबाद जिले के निर्मल टाउन में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने काफी भड़काऊ बयान दिये। उनका बयान यू ट्यूब पर भी मौजूद है जो सोशल साइट्स पर वायरस की तरह फैल रहा है।
ऩई दिल्ली के पार्लियामेन्ट स्ट्रीट के डीसीपी को प्रेषित अपनी शिकायत में शबनम हाशमी ने लिखा है कि एमआईएम के आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य श्री अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा 24 दिसंबर, 2012 को आंध्र प्रदेश के निर्मल शहर में बेहद भड़काऊ भाषण दिया गया था। पूरा भाषण बेहद आपत्तिजनक है, हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काऊ और हमारी सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर एक तगड़ा हमला है। ऐसे अप्रिय भाषण समाज को विभाजित करते हैं, शांति भंग करते हैं और सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं।
शबनम हाशमी ने ओबैसी के खिलाफ आईजीसी की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज करने की माँग की है। शबनम हाशमी का पूरा पत्र इस प्रकार है–
SHABNAM HASHMI
23, CANNING LANE, NEW DELHI-110001
EMAIL: shabnamhashmi@gmail.com
January 2, 2013
DCP PARLIAMENT STREET
PARLIAMENT STREET POLICE STATION
NEW DELHI
SUB: REGISTRATION OF CASE UNDER Section 153A
Dear Sir,
I am writing to you to draw your attention to the speech of Mr Akbaruddin Owaisi, given a few days ago. The speech is available on you tube and is being circulated on the facebook extensively.
This highly inflammatory speech made by Mr. Akbaruddin Owaisi of MIM and member of the Andhra Pradesh Legislative Assembly was delivered on December 24, 2012 in Nirmal town of Andhra Pradesh.
The whole speech is highly objectionable, inflammatory against the Hindu religion and against our cultural heritage. It is a strong attack on the values of our constitution, democracy and secular values. Such obnoxious speeches divide society, vitiate peace and lead to conflicts and riots.
I request you to immediately register a case against Mr Akbarudddin Owaisi under section 153 A of the IPC. I request you to take exemplary action in this very serious matter to ensure that such intolerable acts are never repeated again, anywhere by anyone and secure peace and harmony in the country.
This speech falls under this section as it has clearly causing enmity between different groups on grounds of religion and is causing a threat to communal harmony.
Yours sincerely
Shabnam Hashmi
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Indian Penal Code (IPC)
Section 153A. Promoting enmity between different groups on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, etc., and doing acts prejudicial to maintenance of harmony
1[153A. Promoting enmity between different groups on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, etc., and doing acts prejudicial to maintenance of harmony.—(1) Whoever—
(a) By words, either spoken or written, or by signs or by visible representations or otherwise, promotes or attempts to promote, on grounds of religion, race, place or birth, residence, language, caste or community or any other ground whatsoever, disharmony or feelings of enmity, hatred or ill-will between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, or
(b) Commits any act which is prejudicial to the maintenance of harmony between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, and which disturbs or is likely to disturb the public tranquility, 2[or]
2[(c) Organizes any exercise, movement, drill or other similar activity intending that the participants in such activity shall use or be trained to use criminal force or violence of knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence, or participates in such activity intending to use or be trained to use criminal force or violence or knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence, against any religious, racial, language or regional group or caste or community and such activity for any reason whatsoever causes or is likely to cause fear or alarm or a feeling of insecurity amongst members of such religious, racial, language or regional group or caste or community,]
Shall be punished with imprisonment which may extend to three years, or with fine, or with both.
Offence committed in place of worship, etc.— (2) Whoever commits an offence specified in sub-section (1) in any place of worship or in any assembly engaged in the performance of religious worship or religious ceremonies, shall be punished with imprisonment which may extend to five years and shall also be liable to fine.]
CLASSIFICATION OF OFFENCE
Para I
Punishment—Imprisonment for 3 years, or fine, or both—Cognizable—Non-bailable—Triable by any Magistrate of the first class—Non-compoundable.
Para II
Punishment—Imprisonment for 5 years and fine—Cognizable—Non-bailable—Triable by Magistrate of the first class—Non-compoundable. 

आखिर क्यूँ?


28 दिसंबर कांग्रेस स्थापना दिवस पर रामलीला मैदान, जयपुर में "संकल्प रैली एवं विशाल जन सभा' का आयोजन किया गया, कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।परन्तु दिन भर के व्यस्तता के बाद जब टी वी खोल तो बड़ी दुखद खबर का सामना हुआ- दिल्ली गैंग रेप पीड़ित लड़की की हालत बेहद नाजुक, कई अंगों ने काम करना बंद किया :-( दिल से एक ही प्रार्थना निकली कि ईश्वर उसे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे तथा एक सामान्य जीवन जीने का एक और मौका दे। परन्तु आख़िरकार जीवन और मृत्यु के बीच का संघर्ष समाप्त हुआ, आखिरकार जिंदगी हारी। पीडिता ने देर रात 29 दिसम्बर को अंतिम साँस ली। शोक, क्षोभ, पीड़ा, क्रोध ये सभी भाव एक साथ मन में जाग उठे :( दिल से एक ही प्रार्थना निकली - "हे भगवान इस दुनियां में तो उसे दर्द, पीड़ा और यातना मिली, परन्तु उसे आप अपने आपर स्नेह से सकून व शांति प्रदान करना। उसके प्रियजनों को इस दुःख की घडी में संबल देना।" आज ये सोच के और तकलीफ होती है की 2000 से 2005 तक पी एच डी के कार्य के लिए तीन मूर्ति व् राष्ट्रिय अभिलेखागार जाने हेतु, NSUI व युवा कांग्रेस में राष्ट्रिय पदाधिकारी रहते हुए कार्यालय जाने हेतु दिल्ली की बसों की सवारी मैंने भी बहुत की थी, रात में इनमे यात्रा तब भी सुरक्षित नहीं थी आज भी नहीं है। परन्तु मै शायद भाग्यशाली थी।
इस घटना ने सबको हिल कर रख दिया नए कठोर कानून की मांग जोर शोर से उठाई जा रही है। परन्तु मेरी व्यक्तिगत रे तो यह कि सिर्फ नया कानुन बना देने से समस्या का समाधान नहीं होगा, कानुन लागु भी होना चाहिए। अपराध की सजा तुरन्त मिलनी चाहिए। महिलाओं के प्रति समाज में पुरुषों की सोच बदलनी चाहिए, नेता और पुलिस इसी समाज में से ही आते है। परन्तु अफसोस तब होता है जब मै पुरुषों की सोच बदलने की बात फेसबुक पर करती हूँ बहुत लोग इस बात को सिरे से नकार देते है कि किसी बदलाव की आवश्यकता भी है, ऐसे में बदलाव बहुत दूर नजर आता है। आखिर 100 करोड़ से अधिक की आबादी में कुछ हजार हाथों में कैंडल से सामाजिक बदलाव नहीं आएगा, बदलाव के लिए करोड़ों हाथों के उठाने की जरुरत पड़ेगी। आखिर सबकुछ सिखाया जा सकता है, परन्तु दुसरे की भावनाओं की कद्र करना किसी को कैसे सिखाया जा सकता है? आखिर ये तो महसूस करने की बात है, ना कि सिखाने की।  

अब देखिये मध्य प्रदेश के एक मंत्री का बयान आया " लक्ष्मण रेखा न लांघे, वरना हरण तो  ही।" मतलब सीता हरण में कसूर सीता का था रावण का नहीं? वाह री दोहरी मानसिकता और दोहरे मापदंड! जिस धर्म में अर्धनारीश्वर की कल्पना हो, उस समाज में लक्ष्मण रेखा सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यूँ? क्या पुरुषों के लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं होनी चाहिए? भगवान आपसे से एक प्रार्थना है, इस देश में जितने भी पुरुष इस तरह की दोहरी मानसिकता वाले है उन्हें अगले जन्म में महिला बना के पैदा करें और उन्हें इस जन्म की सोच और कर्म याद रहें। आपके लिए भी ये देखना रोचक होगा की उनकी सोच वही रहती है या बदलती है :) अफ़सोस आज हर कोई महिलाओं की मर्यादा, महिमा, उनको पूजे जाने के बारे में बात कर रहा है। परन्तु कोई भी उनकी आजादी, अधिकार और बराबरी की चर्चा तक नहीं करता। आखिर क्यूँ?