Wednesday, December 26, 2012

दिल्ली रेप केस- एक और विवाद

कांस्टेबल की म्रत्यु में एक और विवाद जुड़ गया है। कल जहाँ एक चश्मदीद ने ये बताया की उसने और एक लड़की ने कांस्टेबल को संभाला था, जब वो बेहोश हो के गिरे थे, उसने एम्बुलेंस को भी कॉल किया था। एम्बुलेंस के ना आने पर उन्हें पुलिस की गाडी से ही हॉस्पिटल ले जाया गया। आज आर ऍम एल हॉस्पिटल की डोक्टर ने बयान दिया की कांस्टेबल सुभाष तोमर को कोई अन्दुरुनी गंभीर छोटे नहीं थी। उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। फिरर गृह सचिव की ये बयान आया की कमिशनर ने गलत जाकारी दी। आखिर ये सब क्या हो रहा है??? क्या कमिशनर साहेब अपने ही कास्टेबल की मौत पर राजनीति करके अपनी गलतियों को ढकने की कोशिशि तो नहीं कर रहे??? अगर ये सच है तो घोर कलयुग है, जब अपने ही अधिनस्थ कार्य करने वाले की आपको फ़िक्र नहीं (होती तो दिल के मरीज की ड्युटी आप फिल्ड में नहीं डेस्क पर लगते), तो आम जनता आपसे क्या अपेक्षा करे????

Heartfelt birthday wishes to Shri Atal Bihari Vajpayee ji

When the world celebrates Christmas, India celebrates the 89th birthday of former Prime Minister of India Atal Bihari Vajpayee, the sole non-Congress prime minister to serve a full term. Heartfelt birthday wishes to Shri Atal Bihari Vajpayee ji, a great figure in Indian Politics who has inspired millions.



Monday, December 24, 2012

बहस

आज कल रेप मामलो पे होने वाली बहस में बहुत से लोग लड़कियों के पहनावे पर, देर रात घुमाने पर सवाल खड़ा करते है। मेरे उनसे सवाल है 1. छोटी बच्चियों, विवाहित महिलाओं, देहात में होने वाले रेप की घटनाओं के संदर्भ में वो क्या कहेंगे? 2. महिला कोई भी अंग हल्का सा प्रदर्शित हो जाये तो पुरषों की क्यूँ लार टपकने लगाती है? आपको कोई कैसे रेप के लिए निमंत्रित कर सकता है? self control भी कोई चीज होंती है। आखिर गन्दगी सोच और निगाह में है तभी तो? उदहारण के लिए खजुराहो की मूर्तियों में कुछ को नंगापन दिखता है, तो कुछ को कला- जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि वैसी। यदि कम  कपडे पहनने से बलात्कार होते है तो हमारे आदिवासी क्षेत्रों मे, अफ्रीका में, यूरोप और अमेरिका में हर लड़की से बलात्कार होना चाहिए तथा इस्लामिक देशों और हमारे देहात जहाँ ओरते घर की चारदीवारी और परदे में रहती है एक भी बलात्कार नहीं होना चाहिए। बलात्कार कपड़ों का मुद्दा नहीं है, ये तो किसी पुरुष की विकृत मानसिकता का परिणाम होता है। 3. लड़कियाँ क्यों खुले आम अपने कार्य से उतनी ही निश्चिन्तता से घूम सकती है जीतनी की पुरुष घुमाते है? आखिर खतरा किस से है?

और तो और बहुत से लोग आज कल फेसबुक और ट्विटर पर ये भी कह रहे है पुलिस नाकारा हो चुकी है, अपनी रक्षा खुद करनी होगी। ये क्या बात हुयी??? हमारे दिए हुए टेक्स से पुलिस को तनख्वा मिलाती है, यदि ये हमारी सुरक्षा नहीं कर सकते, और हमें खुद ही अपनी सुरक्षा करनी है, तो हटाओ इन्हें नौकरी से और बंद कर दो सब थाने।




Sunday, December 23, 2012

नार्थ ब्लाक से इंडिया गेट

अगर आप ने कल नार्थ ब्लाक से इंडिया गेट की बीच समय गुजर होता तो आप देख पाते कि मात्र 16 से 22 साल उम्र के (90% इसी उम्र के युवा दिखाई पड़े) छात्र छात्राएं- "We want justice, hang the rapist", "दिल्ली पुलिस एक काम काटो, चूड़ियाँ पहन के डांस करो", "रेप करने वालों का, काट डालो सालों का" इत्यादि नारे लगा रहे थे। ये युवा कभी रोष से भरे नारे लगा रहे थे, तो राष्ट्रीयता की भावना प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रिय ध्वज फहरा रहे थे, तो भावुकता से भरे राष्ट्र गान गा रहे थे। टी वी कैमरों की स्थान पर खुद की निगाहों से देखने पे आन्दोलन को व्यक्यिगत तौर पर समझने का अवसर मिलाता है, जो बेहद अद्भुत था। मैंने अपने कैमरे में द्रश्यों को कैद भी किया।
आज फिर जब इन्ही बच्चों को पुलिस से झड़प करते देखा तो ख्याल आया कि जब बच्चा अपनी किसी वाजिब मांग को मातापिता के सम्मुख रखता है और मातापिता द्वारा उपेक्षा किये जाने पर हल्ला मचाता है, फिर यदि मातापिता द्वारा बिना वजह दण्डित होता है तो गुस्से में कभी कभी तोड़ फोड़ करके भी अपनी और ध्यान आकृषित करने का प्रयास करता है। क्या छात्रो के इस आन्दोलन में भी यही मनोविज्ञान नहीं दिखता। मेरी समझ यही कहती है कि सरकार को समझाना होगा ये गुस्से भरे युवा आश्वासन नहीं कार्यवाही चाहते है और यदि इस आंदोलन को सख्ती से दबाया गया तो इसके दूरगामी परिणाम राष्ट्रिय हित में नहीं होंगे।

इस परिस्तिथि में महिला तथा इस देश का नागरिक होने के नाते मेरी सरकार से आज यही अपेक्षा है- 1. पुलिस रिफोर्म हो। 2. विशेष संसद सत्र बुला के रेप केस में कड़े कानून बने, जिसमे फांसी तथा आजीवन कारावास का प्रावधान हो। इस अपराध में कोई बेल न मिले, न किसी पैरोल का प्रावधान हो। ये प्रावधान रेप के आलावा तेज़ाब फेंक कर लड़कियों को जिन्दा लाश बनाने वालों के विरुद्ध भी होना चाहिए।3. देश के सभी हिस्सों में रेप केस की सुनवाई हेतु फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बने तथा सुनवाई की समय सीमा तय हो। 4. कानुन तथा पुलिस का भय सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि देश के दूर दराज क्षेत्रों में भी हो।

Monday, December 17, 2012

I want to be remembered as the girl who always smiled the one who could brighten up your day, even if she couldn't brighten her own.

Not all scars show, not all wounds heal. Sometimes you can't always see the pain that someone feels.
Day before yesterday I attended the "Adhivesh" of Rajasthan PCC Office Bearer,AICC & PCC delegates and DCC Presidents at Jaipur in the leadership of Honorable AICC GS Mukul Wasnikji, Chief Minister Shri Ashok Gehlotji, PCC President Chandrbhanji and AICC SecArun Yadav ji. It was a whole day long interactive session. I must say, "MAHFIL E KHASH" was the dinner at CM house :). Enjoyed the stay at Jaipur till 18th.

Saturday, December 8, 2012

नौकर की कमीज, विनोद कुमार शुक्ल

"अर्थशास्त्र के शिक्षक ने कुछ दिनों के बाद उनको समझाया होगा, "तुम्हारी पत्नी मर गयी. इससे तुम्हें बहुत नुकसान हुआ. स्कूल में मास्टरनी थी, दो सौ रुपये महीना कमाती थी. घर का खाना, दूसरे काम, बच्चों की देख-रेख, कपड़े धोना, झाडू लगाना बहुत से काम करती थी. कोई काम कराने वाली औरत होती तो इतने काम का कम-से-कम सौ रूपये लेती और रद्दी काम करती. इमानदारी से तुम्हारी गृहस्थी की देख-रेख नहीं करती. गन्दी होती,
उज्जड होती, चोर होती. तुम्हारी पत्नी तुम्हारे साथ बिस्तर पर सोती थी. अब तुम्हारे बिस्तर पर कोई नहीं सोयेगा. इसके लिए बाज़ार में तुम कितने भी सस्ते-से काम चलाओ, आधे घंटे के कम-से-कम दो रुपये लग जायेंगे.वह बिस्तर कैसा होगा, इसका अंदाज़ लगा लों. बदनामी का डर रहेगा. नौकरी जाने का भी डर रहेगा.- अब तुम हिसाब करके बतलाओ, एक महीने में तुम्हें कुल कितने रुपये का नुकसान हुआ?"

इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने दूसरी शादी कर ली."
पंजाब में कुछ युवकों ने एक पंजाब पुलिस अफसर रविंदर पल सिंह की दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी क्योंकि उसने उनके अपनी बेटी के साथ छेड़ -छाड़ करने के लिए आपत्ति जताई थी।
सही भी है ,किस बात की आपत्ति? अब लड़की है तो तैयार रहो की आते जाते भारत के सपूत छेड़ेंगे भी। बैंक में नौकरी करती थी ...अब यह भी गलत है न? क्यूँ पढाया उसको और क्या ज़रूरत है घर से बाहर भेजने की ? आज कल तो वैसे ही वापस से लड़कियों की जल्दी शादी, सर ढक कर बाहर जाना और मोबाइल नहीं रखने जैसे अच्छी बातें उठ कर आ रही हैं।
तैयार रहो अगर बेटी है तो यह सब होगा ...बाप और भाई मारे जायेंगे, या उसका बलात्कार होगा और कहीं बच गयी तो दहेज़ तो है ही।
वाह रे भारत ...फिर हम पूछते है की 'कन्या भ्रूण हत्या क्यों?'

Thursday, December 6, 2012

आज कल तो खुबसूरत दिखने में भी डर लगता है..... लड़की होना ही क्या काफी नहीं है...  

Tuesday, December 4, 2012

इस देश में स्कूल बने न बने, अस्पताल बने न बने, गरीबों के सर पर छत बने न बने, अनाथ बेसहारा के लिए आश्रय बने न बने, गावों और शहरों को जोड़ने वाली सड़के बने न बने ........ इनके लिए सड़क पे उतर के कोई नहीं लड़ता, पर देश में स्मारकों और मूर्तियों का बनाना बेहद जरुरी है... इसके लिए सब किसी भी हद तक जाने को तैयार है...
आखिर ये घनोत चीज क्या है... पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र श्री चौटाला तथा दिल्ली बी जे पी के प्रदेश अध्यक्ष श्री मल्होत्रा दोनों ही बड़े सम्मान से उन्हें "घनोत साहब" बुलाते है... क्या वाकई में वो इन लोगों के इतने सम्मान के हक़दार है ???????? :-/

Saturday, December 1, 2012

Friends before around four month we raised our voice everywhere in govt system for justice in Geeta dowry death case, but no body helped. Rajasthan police didnt act on this case and didnt do any arresting till more than one month. Than case has been transferred to CBCID on the request of accused family, even victim's family requested not to transfer the case. When CBCID also didnt call case file till one month, the propose had shown that they wanted to weak this case. Than we mate CM, after that only IO appointed by CBCID. Now we felt it will impossible to get any justice here in this situation, as accused family has influence (Geeta's husband's Aunty is a daughter of EX MP, his Aunty's son is a IAS, his uncle is a RPS, and one Uncle is President Jaat mahasabha) in the system. Than we decided to go to High Court for justice. And after a long struggle Geeta got the justice from Rajsthan High Court. High court ordered to arrest all three accused ( as par Ratangar DSP's report). Thanks to judiciary system, but still thinks why our society and system is so insensitive in women issues. 

Here i would also like to thanks Vibhuti Bhushan Sharma who gave us a best lawyer, who without coming in any influance, gain this victory for Geeta and tries to provide her justice. And also DSP Ratangarh, who gives an unbiased report. B
ut its only a first step towards the justice, MANJIL ABHI BAAKI HAI.  

Thursday, October 18, 2012

कल हमारी शादी को दो साल पुरे हो गए :) समय कितनी जल्दी गुजरता है, पता नहीं चलता :P
माँ भगवती हमें अपनी अनुकम्पा और आशीष दें!

Wednesday, September 19, 2012

Its happen only in America :P -

"In 1989, the U.S. Supreme Court issued a 5-4 decision declaring flag-burning to be a form of social expression protected under the Constitution's freedom of speech protections.

Now when its in news that U.S. Senate will once again consider a proposed constitutional amendment giving Congress the power to ban the burning or similar desecration of the American flag.

Speaking against the amendment, Rep. Jerrold Nadler (D-New York, 8th) stated, "If the flag needs protection at all, it needs protection from members of Congress who value the symbol more than the freedoms that the flag represents."

Tuesday, August 14, 2012

We end today a period of ill fortune and India discovers herself again. The achievement we celebrate today is but a step, an opening of opportunity, to the greater triumphs and achievements that await us. Are we brave enough and wise enough to grasp this opportunity and accept the challenge of the future?
Jawaharlal Nehru
Indian Declaration of Independence, on eve of independence, August 15 1947.

Question raised By Nehru still relevant to us. Happy Independence Day!!
I am extremely shocked and sorry to hear about Mr. VilasRao Deshmukh's untimely demise.
It certainly is a great loss... Let his soul rest in PEACE in the feet of ALMIGHTY. And let us all pray to the God to give his family the strength.
कहते है कि लड़की की इज्जत कांच कि तरह होती है, अगर टूट जाए तो जीवन भर के लिए दरार आ जाती है|
और लडके कि इज्जत.....................????
???
शायद होती ही नहीं :P

Tuesday, June 12, 2012

संस्मरण



"बेटा तुम्हारा फ़ोन बज रहा है" पापा की आवाज ने मुझे फोन की बजती घंटी का अहसास कराया. फोन पर किसी की याचना भरी आवाज थी, "मैडम उन्होंने लड़की को जला के मार डाला, लड़की के गरीब मा बाप की कोई नहीं सुन रहा, आप प्लीज थानेदार साहेब को फोन कर दीजिये"| बड़ा बुरा लगा कोई किसी की जान कैसे ले सकता है, थानेदार से बात की तो उन्होंने मदद का पूरा पूरा आशवासन दिया| इस बात को कुछ महीने बीत गए| फिर कोई फोन नहीं आया और मै ये सोच कर की कार्यवाही हो गयी होगी, इस बात को भूल गयी| 

जैसे ही मीटिंग ख़त्म हुयी किसी जानी पहचानी आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर खिंचा, "चयानिकाजी, अगर समय हो तो एक शादी में शामिल हो जाईये| आपको बड़े प्यार से बुलाया है| "ठीक है चलते है" बोल के मै उठ खड़ी हुयी| एक कच्ची झोपड़ी के घर के सामने हमारी यात्रा का अंत हुआ| गरीब होते हुए भी प्यार और मान में कोई कमी नहीं थी| बूंदी, भुजिया, आलू की सब्जी, पूरी से भरी थाली सामने आई और हमने खाना शुरू किया| तभी परिवार के मुखिया ने बोला "मैडम आपने निमंत्रण का मान रखा, उसके लिए धन्यवाद|" " आपने इतने आग्रह से बुलाया था तो आना ही था" मैंने उन्हें विन्म्र्तापुरावक जवाब दिया| " अरे बुलाते कैसे नहीं आपकी वजह से ही तो हमारी बेटी का केस सुलझा पाया है"| "कौन सा केस?" मैंने पूछा| " वही जिसे उसके ससुराल वालों ने जला के मार डाला था" जवाब मिला| "तो उन्हें सजा हो गयी" बोलते हुए मुझे इन्साफ मिलाने के सकून का अहसास हुआ| " नहीं मैडम| आपके प्रयास से पुलिस सक्रीय हुयी तो ससुराल वालों पे दवाब पड़ा और समझौता हो पाया"| " समझोता???????? कैसा समझौता????" मैंने आश्चर्य से पूछा|  " मैडम बेटी के छोटे छोटे दो बच्चे थे| अगर उसके पति, ससुर और सास को सजा हो जाती उनको कौन पलता| इसलिए हमने अपनी छोटी बेटी की शादी उसके साथ कर रहे है| आज उसी की शादी है"| सुनकर मेरी आश्चर्य की सीमा नहीं रही| "आप अपनी ही बेटी के कातिल से अपनी दूसरी बेटी की शादी कैसे कर सकते है?" मै लगभग चिल्ला ही पड़ी| " मैडम हम गरीब लोग है| व्यवहारिक होना पड़ता है| जो बेटी चली गयी वो तो वापस नहीं आएगी, पर उसके बच्चों की पूरी जिंदगी पड़ी है. हम जब तक जिन्दा तब तक उनका ख्याल रखा भी ले पर हम बूढ़े लोगों का कोई भरोसा है, हमारे बाद उनका क्या भविष्य होगा| जो इस दुनिया में नहीं है उसके बारे में सोच कर, जो इस दुनियां में है उनकी जिंदगी तो ख़राब नहीं कर सकते......." वो बोलते जारहे थे और मै यह सोच के हैरान परेशां थी, कि क्या गरीबी इन्सान को इतना मजबूर कर देती है कि इंसान अपने ही बच्चे की लाश पर समझौता करने पर मजबूर हो जाता है| हर निवाला निगले हुए लग रहा था जैसे कलेजे में कुछ अटक रहा है.....