Saturday, June 30, 2007

"एक पल"


एक पल हमारे पास है , इसे यूं ना गंवाओ,

प्रिय तुम आ जाओ.........


बारिश की छमछम, पत्तों की सरगम,

सर्द हवा के झोंके, तुम्हें बुला रहे है,

प्रिय तुम आ जाओ.......


जब हम क्रन्दन करते इस धरा पर आये-

वह एक पल था।


ओर जब तितलियों के पीछे भागते गिरते-

फिर उठ कर भागते,

वह भी एक पल था।


चांद पकड़ने की धुन मे जब हम-

तैलया मे उतर जाते,

वह भी एक पल था।


जिंदगी के सफ़र मे, किसी राह पर-

जब हम पहली बार मिले,

वह भी एक पल था।


दिल ने सोचा था कि तुम सिर्फ राही नहीं-

हम राही हो सकते हो,

वह भी एक पल था।


पलकें बिछाए इंतज़ार मे तुम्हारे-

मैं बैठी हूँ,

यह भी एक पल है।


ओर जब मौत के साए हमे-

अपनी गोद मे समेट लेंगे,

वह भी एक पल होगा।


तनहाई को ना अपना साथी बनाओ-

एक पल जीवन का,

जो हमारे पास है, उसे यूं ना गंवाओ-

प्रिय तुम आ जाओ......................

1 comment:

RAJESH BISSA said...

aapne bahut hi sundar geet likha hai. congretulion..........
great.....
dil ko chhu gaya ...... vo...v

aur bhi achha likhen ...... good wishesh.........