Sunday, April 13, 2008

युवाओं से आवाहन

(१)
उनका कर्ज चुकाने को,
अपना फर्ज निभाने को।
नया ख़ून तैयार खड़ा है,
राजनीति मेँ आने को॥

(२)
जागी अब तरुणाई है,
देश ने ली अंगडाई है।
नई उमर की नई फसल,
अब राजनीति मेँ आई है॥

(३)
जण गण मन अधिनायक,
जो है भाग्य विधाता।
लोकतंत्र के सिंहासन का,
असली मालिक मतदाता॥

(४)
किसी वाद पर दो मत ध्यान,
राष्ट्रहित मेँ दो मतदान॥

(५)
जाती धर्म और भाषावाद,
करना है इनका प्रतिवाद॥

2 comments:

अबरार अहमद said...

राजनीति का एक ही अर्थ है राज करने की नीति। राजनेता का मतलब भी राज करने वाला नेता। इसलिए पौध चाहे नई हो या पुरानी करनी तो राजनीति ही है। कोई फर्ज न निभा रहा है न निभाएगा। इस हम्माम में सभी एक जैसे ही हैं। सबको कुरसी प्यारी है सबको सत्ता का सुख भोगना है। देश तो सेकेंडरी चीज है। आप कर रही हैं अच्छा है लेकिन कब तक, कह नहीं सकता। हां इस देश में अच्छे नेता भी हैं लेकिन कितने। किसी रात सोते वक्त सोचिएगा। हम उस दलदल में हैं जहां सब कोई अपनी जान बचाने को रस्सी ढुढ रहा है। हो सकता है मैं गलत होउं पर मेरे हिसाब से यही सच्चाई है। बुरा मत मानिएगा। कुछ नहीं बदलने वाला क्योंकि हम बदलना ही नहीं चाहते। मैं निराश या हताश नहीं। यह भी नहीं कि कायर हूं पर सच्चाई यही है। हम इसके आदि हो चुके है। सोचिएगा। युवाओ को मोटिवेट करने के लिए बधाई।

मनोज कंदोई said...

राजनीति मे युवाऒ के लिये आपका आह्वान अच्छा है। परिवर्तन संसार का नियम है और जब जब भी परिवर्तन हुआ, क्रान्ति आयी कमान हमेशा युवाओ के हाथो ने संभाली परन्तु Responsibilty के साथ Accountibilty को समझना होगा देश सर्वप्रथम की भावना के साथ कार्य करना होगा। अपने यह विचार चुरु से भेज रहा हुं, राजस्थान मे पहके नागोर, बीकानेर और अब चुरु पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से हुं अतंत: चुरु से आपको ये प्रेसित है।