संघर्ष
भटकते कदम,
मुड़ जाते है सही दिशा मेँ,
एक सह्रदय स्पर्श भर से।
जीवंत हो उठते है
कालिदास के प्रणय महाकाव्य
उर मेँ उठे मादक हर्ष से।
उभर आते है,
कठोर शिलाओं पर
प्रतीक चिन्ह
रस्सी के अनवरत संघर्ष से॥
संकल्प
एक दृढ संकल्प ने
जीत ली थी,
संपूर्ण लंका।
एक दृढ संकल्प
तोड़ सकता है,
क्रूर आतताइयों के धैर्य, और
एक दृढ संकल्प
अंकित कर देता है,
कर्ण का नाम
इतिहास के उजले पृष्ठ पर॥
आइये, हम सब एक साथ दीपोत्सव की इस पावन बेला पर विश्व के महानतम राष्ट्र भारतवर्ष मेँ आतंकवाद, अलगाववाद, साम्प्रदायिकता और अस्पृश्यता के विरुद्ध अनवरत संघर्ष का शंखनाद करें तथा संपूर्ण भारत मेँ सुख, शांति और समृद्धि बहाल करने का दृढ संकल्प लें।
ईश्वर से कामना है की इस पवन पर्व पर आपमें सहृदयता, हर्ष और आत्मविश्वास की त्रिवेणी प्रस्फुटित हो उठे।
इन्हीं ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ-
जय हिंद !!
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