Thursday, November 8, 2007

अभिवादन

संघर्ष

भटकते कदम,
मुड़ जाते है सही दिशा मेँ,
एक सह्रदय स्पर्श भर से।
जीवंत हो उठते है
कालिदास के प्रणय महाकाव्य
उर मेँ उठे मादक हर्ष से।
उभर आते है,
कठोर शिलाओं पर
प्रतीक चिन्ह
रस्सी के अनवरत संघर्ष से॥

संकल्प

एक दृढ संकल्प ने
जीत ली थी,
संपूर्ण लंका।
एक दृढ संकल्प
तोड़ सकता है,
क्रूर आतताइयों के धैर्य, और
एक दृढ संकल्प
अंकित कर देता है,
कर्ण का नाम
इतिहास के उजले पृष्ठ पर॥

आइये, हम सब एक साथ दीपोत्सव की इस पावन बेला पर विश्व के महानतम राष्ट्र भारतवर्ष मेँ आतंकवाद, अलगाववाद, साम्प्रदायिकता और अस्पृश्यता के विरुद्ध अनवरत संघर्ष का शंखनाद करें तथा संपूर्ण भारत मेँ सुख, शांति और समृद्धि बहाल करने का दृढ संकल्प लें।

ईश्वर से कामना है की इस पवन पर्व पर आपमें सहृदयता, हर्ष और आत्मविश्वास की त्रिवेणी प्रस्फुटित हो उठे।

इन्हीं ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ-

जय हिंद !!

6 comments:

Ashish Maharishi said...

shandar rachna

Anonymous said...

आमीन!

Sanjeet Tripathi said...

यह कामना पूर्ण हो!!

शुभकामनाएं आपको भी!!

नीरज गोस्वामी said...

अति सुंदर रचनाएँ
बधाई
आप को दीपावली की शुभ कामनाएं
नीरज

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Dinesh Taparia said...

Hi! Chayanika,
Its Dinesh,I feel good that we both r from the same home town.I heard ur name when i was in chhapar.Its a chance that by searching something else i watch ur blog.Its really nice as well as u.I don't read ur whole blog but whatever i read, its really beautiful.O.k. Bye
Dinesh Taparia(Delhi)